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लैप्रोस्कोपी और हिस्टेरोस्कोपी आधुनिक, न्यूनतम सक्रिय (minimally invasive) तकनीकें हैं, जो विभिन्न प्रजनन और स्त्री रोग संबंधी (gynecological) समस्याओं के निदान और उपचार में सहायक होती हैं। इन तरीकों से गर्भाशय (uterus), अंडनलियाँ (fallopian tubes), अंडाशय (ovaries), और पेल्विक कैविटी को बिना बड़ी शल्य-चिकित्सा (major surgery) के देखा जा सकता है। वसुंधरा IVF में, डॉ. नूपुर बाजपई एक अनुभवी लैप्रोस्कोपिक सर्जन हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि महिलाओं को सटीक निदान, शीघ्र रिकवरी और प्रभावी उपचार योजनाएँ मिलें, खासकर जब वे बांझपन या अन्य स्त्री रोगों से जूझ रही हों।
लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy): पेट (abdomen) में एक छोटा चीरा (incision) किया जाता है, जहाँ से एक पतला, रोशनी वाला टेलीस्कोप जैसा उपकरण डाला जाता है जिससे प्रजनन अंगों का अवलोकन किया जाता है। यह एंडोमेट्रिओसिस, फाइब्रॉइड्स, ओवरीयन सिस्ट, adhesions, और blocked fallopian tubes जैसी स्थितियों के निदान और उपचार में मदद करता है। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी सामान्यतः सामान्य बेहोशी (general anesthesia) के अंतर्गत होती है और यह डे-केयर प्रक्रिया होती है, अर्थात अधिकांश मरीज उसी दिन घर जा सकते हैं।
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): इस प्रक्रिया में गर्भाशय (uterus) के अंदर की जांच की जाती है। एक पतला हिस्टेरोस्कोप (hysteroscope) योनिमार्ग (vagina) और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के रास्ते से डाला जाता है, बिना किसी चीरे या टाँके के। इस प्रक्रिया से गर्भाशय के पॉलिप्स, फाइब्रॉइड्स, adhesions, और असामान्य रक्तस्राव जैसी समस्याएँ पता लगाई जा सकती हैं और ठीक भी की जा सकती हैं। निदान (diagnostic) हिस्टेरोस्कोपी अक्सर बिना एनेस्थेसिया के की जा सकती है, जबकि सर्जरी के लिए हल्के एनेस्थेसिया की आवश्यकता हो सकती है।
ये दोनों प्रक्रियाएँ उन अंतर्निहित कारकों को संबोधित करती हैं जो गर्भधारण या प्रसव को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे प्रजनन परिणाम (fertility outcomes) बेहतर होते हैं।
यदि आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हों, लेकिन सफलता नहीं मिली हो, यदि आपके मासिक चक्र अनियमित हों या ज्यादा रक्तस्राव हो रहा हो, या गर्भपात (miscarriages) का इतिहास हो, या अल्ट्रासाउंड या HSG (Hysterosalpingography) के बाद और जांच की ज़रूरत हो — तो ये प्रक्रियाएँ करवाने का सुझाव दिया जा सकता है। डॉ. नूपुर आपके लक्षणों, परीक्षण परिणामों और चिकित्सा इतिहास (medical history) के आधार पर बताएंगी कि कौन-सी प्रक्रिया आपके लिए सबसे उपयुक्त है, साथ ही रिकवरी के बारे में भी पूरी जानकारी देंगी।