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यह एक विशेष और प्रभावी प्रजनन उपचार है जो कि पुरुष बांझपन (male infertility) के गंभीर मामलों के लिए है। इस पद्धति में एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडे के अंदर इंजेक्ट किया जाता है ताकि निषेचन (fertilization) हो सके। वसुधरा IVF, लखनऊ में डॉ. नूपुर बाजपई ने अत्याधुनिक तकनीक और सहानुभूतिपूर्ण व व्यक्तिगत देखभाल के माध्यम से कई दंपतियों को उनके माता-पिता बनने के सपने को साकार करने में मदद की है।
प्रक्रिया की शुरुआत IVF की तरह ही होती है। महिला को दवाइयों के माध्यम से प्रोत्साहित (stimulated) किया जाता है ताकि वह कई अंडे उत्पन्न कर सके।
जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें एक सरल, न्यूनतम सक्रिय प्रक्रिया के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है। उसी समय पुरुष साथी के वीर्य (semen) का नमूना लिया जाता है। यदि शुक्राणु की संख्या या गुणवत्ता बहुत कम हो, तो शुक्राणु को शल्य (सर्जिकल) प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
निषेचन के समय ICSI में मुख्य अंतर है — एक अनुभवी एम्ब्रायोलॉजिस्ट एक स्वस्थ शुक्राणु चुनता है और सूक्ष्मदर्शी (microscope) व एक पतली सूई (fine needle) की सहायता से उसे अंडे के अंदर सीधे इंजेक्ट करता है। यह पद्धति उन निषेचन संबंधी समस्याओं जैसे कि शुक्राणु की गतिशीलता (motility) कम होना या उनका आकार (shape) असामान्य होना जैसी समस्याओं का समाधान करती है।
निषेचन सफल होने के बाद, भ्रूण (embryo) कुछ दिनों के लिए एक नियंत्रित प्रयोगशाला (lab) वातावरण में विकसित होता है, उसके बाद उसे गर्भाशय (uterus) में स्थानांतरित (transfer) किया जाता है।
लगभग दो सप्ताह बाद एक गर्भावस्था परीक्षण (pregnancy test) किया जाता है।
ICSI निम्न स्थितियों में एक अच्छा विकल्प हो सकता है:
जब पुरुष बांझपन हो, जैसे कि शुक्राणु की संख्या बहुत कम हो, गतिशीलता कमजोर हो, या आकार असामान्य हो।
यदि पहले IVF प्रयास असफल रहे हों।
जब अस्पष्ट बांझपन (unexplained infertility) हो।
जब फ्रीज़ किए गए अंडे या शुक्राणु उपयोग किए जा रहे हों।
जब शुक्राणु शल्यचिकित्सा द्वारा प्राप्त किया गया हो।
डॉ. नूपुर आपकी स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन करेंगी और पूरी पारदर्शिता व देखभाल के साथ उपयुक्त उपचार की सलाह देंगी।